मैथिली कबिता – बिजय मण्डल

<span class='c1'>मैथिली कबिता </span> <span class='c2'>– बिजय मण्डल</span>

समय वे अर्थ अईछ

ओर वेमतलवी

रुप हुनकर य अनेक

मगर सबमे स्वार्थ भरल्ल

उगल भोरक सुरज संग

डुइब जाइय अनरिया रईतमे

आई फेर खरा छि ओत

जतसे सुरु भेल छेलि हम

आइख वेहे हात ओर पाइरो वेहे

देखाइ कम अइछ साहारा बन्नल य लाठि

दुख ओर सुख अनगीनत

रुप हुनकर अनेक छेल

आई ओर काईल मे सिमइट गेल

कुछ छण मात्र छि हम समय संग

समय त वेमतलवि य ।

 

 

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